श्रीभगवद्गीता का सारतत्व – अध्याय १३ (क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग)
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः श्री भगवद्गीता – प्रस्तावना << अध्याय १२ गीतार्थ संग्रह के सत्रहवें श्लोक में, आलवन्दार तेरहवें अध्याय का सारांश समझाते हुए कहते हैं, “तेरहवें अध्याय में – शरीर की प्रकृति, जीवात्मा की प्रकृति को प्राप्त करने का साधन, (आत्मा का अचित (शरीर) के साथ) बंधन का कारण … Read more