శ్రీ భగవత్ గీతా సారం – అధ్యాయం 13 (క్షేత్ర క్షేత్రజ్ఞ విభాగ యోగం)

శ్రీః  శ్రీమతే శఠకోపాయ నమః  శ్రీమతే రామానుజాయ నమః  శ్రీమత్ వరవరమునయే నమః శ్రీ భగవద్ గీతా సారం << అధ్యాయం 12 గీతార్థ సంగ్రహం లోని 17వ శ్లోకం లో, ఆళవందార్లు పదమూడవ అధ్యాయం యొక్క సారాంశం వివరిస్తూ “పదమూడవ అధ్యాయం లో, శరీర స్వభావం, జీవాత్మ స్వభావం పొందే మార్గం, ఆత్మ మరియు అచిత్(శరీరం) మధ్య ఉన్న బంధానికి కారణం మరియు రెండిటి(ఆత్మ మరియు అచిత్) నడుమ బేధం కనిపెట్టే మార్గం చెప్పబడ్డాయ.” ముఖ్యమైన … Read more

१३.३४ – क्षेत्रक्षेत्रज्ञयो: एवं अन्तरं

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक ३३ श्लोक क्षेत्रक्षेत्रज्ञयो: एवं अन्तरं ज्ञानचक्षुषा।भूतप्रकृतिमोक्षं च ये विदुर्यान्ति ते परम्।। पद पदार्थ एवं – जैसा कि इस अध्याय में बताया गया हैक्षेत्र क्षेत्रज्ञयो: अन्तरं – क्षेत्र (शरीर) और क्षेत्रज्ञ (आत्मा) के बीच के अंतरभूत प्रकृति मोक्षं च – अमानित्व … Read more

१३.३३ – यथा प्रकाशयत्येकः

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक ३२ श्लोक यथा प्रकाशयत्येकः कृत्स्नं लोकमिमं रविः।क्षेत्रं क्षेत्री तथा कृत्स्नं प्रकाशयति भारत।। पद पदार्थ भारत – हे भरतवंशी!एक: रविः – सूर्यइमं कृत्स्नं लोकं – सम्पूर्ण जगतयथा प्रकाशयति – जैसे (अपने प्रकाश से) प्रकाशित करता हैतथा – वैसे हीक्षेत्री – शरीरधारी … Read more

१३.३२ – यथा सर्वगतं सौक्ष्म्याद्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक ३१ श्लोक यथा सर्वगतं सौक्ष्म्याद् आकाशं नोपलिप्यते।सर्वत्रावस्थितो देहे तथाऽऽत्मा नोपलिप्यते।। पद पदार्थ आकाशं – आकाशसर्वगतं – सभी में व्याप्त होते हुए भीसौक्ष्म्याद् – सूक्ष्म होने के कारणयथा न उपलिप्यते – उनके गुणों से प्रभावित नहीं होतातथा – उसी प्रकारआत्मा – … Read more

१३.३१ – अनादित्वान् निर्गुणत्वात्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक ३० श्लोक अनादित्वान् निर्गुणत्वात् परमात्माऽयमव्ययः।शरीरस्थोऽपि कौन्तेय न करोति न लिप्यते।। पद पदार्थ कौन्तेय – हे कुन्तीपुत्र!अयं परमात्मा – यह आत्मा (जो शरीर से बड़ा है)शरीरस्थ: – शरीर में रहते हुएअनादित्वात् – क्योंकि वह अनादि है और (किसी समय में) निर्मित … Read more

१३.३० – यदा भूतपृथग्भावम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक २९ श्लोक यदा भूतपृथग्भावम् एकस्थम् अनुपश्यति।तत एव च विस्तारं ब्रह्म सम्पद्यते तदा।। पद पदार्थ भूत पृथग्भावम् – जीवात्माओं और विभिन्न प्रकार के शरीरों जैसे देव, मनुष्य , तिर्यक और स्थावर के संयोजन में विविधताएकस्थम् – एक ही वस्तु (अतार्थ प्रकृति … Read more

१३.२९ – प्रकृत्यैव च कर्माणि

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक २८ श्लोक प्रकृत्यैव च कर्माणि क्रियमाणानि सर्वशः।यः पश्यति तथाऽऽत्मानम् अकर्तारं स पश्यति।। पद पदार्थ सर्वशः कर्माणि – सभी कर्मप्रकृता एव क्रियमाणानि – शरीर द्वारा किये जाते हैं, जो कि पदार्थ का प्रभाव हैतथा – इसी प्रकारआत्मानं – आत्माअकर्तारं च – … Read more

१३.२८ – समं पश्यन् हि सर्वत्र

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक २७ श्लोक समं पश्यन् हि सर्वत्र समवस्थितमीश्वरम्।न हिनस्त्यात्मनात्मानं ततो याति परां गतिम्।। पद पदार्थ सर्वत्र – सभी शरीरों (जैसे कि देव , मनुष्य, तिर्यक (पशु) और स्थावर (पौधे)) मेंसमवस्थितम् ईश्वरम् – आत्मा, जो स्वामी, आधार और नियंता है (प्रत्येक शरीर … Read more

१३.२७ – समं सर्वेषु भूतेषु

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक २६ श्लोक समं सर्वेषु भूतेषु तिष्ठन्तं परमेश्वरम्।विनश्यत्स्वविनश्यन्तं यः पश्यति स पश्यति।। पद पदार्थ सर्वेषु भूतेषु – समस्त प्राणियों (जैसे देव , मनुष्य , तिर्यक (जानवर), स्थावर (पौधे) कोसमं – समान रूपपरमेश्वरं तिष्ठन्तं – (शरीर, मन और इन्द्रियों का) स्वामीविनश्यत्सु – … Read more

१३.२६ – यावत् सञ्जायते किञ्चित्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक २५ श्लोक यावत्सञ्जायते किञ्चित्सत्त्वं स्थावरजङ्गमम्।क्षेत्रक्षेत्रज्ञसंयोगात्तद्विद्धि भरतर्षभ।। पद पदार्थ भरतर्षभ – हे भरतवंशी!किञ्चित् स्थावर जङ्गमम् – स्थावर (जैसे कि पौधा) या जंगम (जैसे कि पशु) रूप मेंयावत् सत्त्वं सञ्जायते – जितने भी प्राणी जन्म लेते हैंतत् – वे सभी प्राणीक्षेत्र क्षेत्रज्ञ … Read more