१३.७ – अमानित्वम् अदंभित्वम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १३ << अध्याय १३ श्लोक ६ श्लोक अमानित्वम् अदंभित्वम् अहिंसा क्षान्तिरार्जवम् |आचार्योपासनं शौचं स्थैर्यमात्म विनिग्रह: || पद पदार्थ अमानित्वम् – बड़ों का अनादर न करनाअदंभित्वम् – प्रसिद्धि के लिए दान में संलग्न न होनाअहिंसा – तीनों शक्तियों (मन, वाणी और कर्म) से किसी को नुकसान … Read more