१८.५० – सिद्धिं प्राप्तो यथा ब्रह्म
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १८ << अध्याय १८ श्लोक ४९ श्लोक सिद्धिं प्राप्तो यथा ब्रह्म तथाप्नोति निबोध मे |समासेनैव कौन्तेय निष्ठा ज्ञानस्य या परा || पद पदार्थ कौन्तेय – हे कुन्तीपुत्र!सिद्धिं प्राप्त: – जिसने ध्यान की दृढ़ अवस्था प्राप्त कर ली हैयथा ब्रह्म आप्नोति – जिस साधन से मनुष्य … Read more