२.६५ – प्रसादे सर्वदु:खानाम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ६४ श्लोक प्रसादे सर्वदु:खानां हानिरस्योपजायते ।प्रसन्नचेतसो ह्याशु बुद्धि: पर्यवतिष्ठते ॥ पद पदार्थ अस्य – ऐसे व्यक्ति के लिएप्रसादे (सती) – मन की स्पष्टता प्राप्त करने के बादसर्वदु:खानां हानि:- सभी दुखों का नाश उपजायते– होता हैप्रसन्न चेतस: – जिसका मन शुद्ध होआशु … Read more