५.१ – सन्यासं कर्मणां कृष्ण
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ५ << अध्याय ४ श्लोक ४२ श्लोक अर्जुन उवाचसन्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि ।यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम् ॥ पद पदार्थ अर्जुन उवाच- अर्जुन ने कहा कृष्ण – हे कृष्ण!कर्मणां संन्यासं – कर्मयोग को त्यागकर ज्ञानयोग का पालन करनापुन:- फिर(कर्मणां) योगं च – कर्म योगशंससि … Read more