७.११ – बलं बलवतां चाहम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ७ << अध्याय ७ श्लोक १० श्लोक बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम् |धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ || पद पदार्थ भरतर्षभ – हे भरत वंशजों में श्रेष्ठ!अहम् – मैंबलवतां – बलवान काकाम राग विवर्जितं बलम् (अस्मि) – वह शक्ति हूँ जो उन्हें वासना से दूर रखती हैभूतेषु … Read more