७.२० – कामै: तै: तै: हृतज्ञानाः
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ७ << अध्याय ७ श्लोक १९ श्लोक कामैस्तैस्तैहृतज्ञानाः प्रपद्यन्तेऽन्यदेवताः ।तं तं नियममास्थाय प्रकृत्या नियताः स्वया ॥ पद पदार्थ (इस दुनिया में कई करोड़ लोग)स्वया प्रकृत्या – अनादि-आदि प्रवृत्तिनियताः – सदैव साथ रहने के कारणतै: तै: – वो ( प्रवृत्ति )कामै: – सांसारिक वस्तुओं ( जो … Read more