९.१५ – ज्ञानयज्ञेन चाप्यन्ये
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ९ << अध्याय ९ श्लोक १४ श्लोक ज्ञानयज्ञेन चाप्यन्ये यजन्तो मामुपासते |एकत्वेन पृथक्त्वेन बहुधा विश्वतोमुखम् || पद पदार्थ अन्ये अपि – कुछ अन्य महात्माओंज्ञान यज्ञेन च – (पहले बताए गए कीर्तन आदि के साथ) ज्ञान का यज्ञयजन्त: – पूजाबहुधा पृथक्त्वेन – इस दुनिया की कई … Read more