१.२९ – सीदन्ति मम गात्राणि

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

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श्लोक

सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति।
वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते ৷৷

पद पदार्थ
मम – मेरे
गात्राणि – अंग [ हाथ और पैर ]
सीदन्ति – कमज़ोर हो रहे हैं
मुखं – मुँह
परिशुष्यति – सूख रहा है
मे शरीरे – मेरे तन मे
वेपथु: – कँपकँपी
जायते – हो रहा है
रोमहर्षश्च जायते – रोंगटे खड़े हो रहे हैं

सरल अनुवाद

मेरे अंग कमज़ोर हो रहे हैं , मेरा मुँह पूरी तरह से सूख गया है , मेरा तन काँप रहा है और मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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