१.३१ – निमित्तानि च पश्यामि

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः

अध्याय १

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श्लोक
निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव ।
न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे ৷৷

पद पदार्थ
केशव – हे केशव !
विपरीतानि निमित्तानि च – कई अशुभ पूर्वसूचनाएँ जो बुरे घटनाओं का इशारा करते हैं
पश्यामि – मैं देख रहा हूँ
आहवे – युद्ध क्षेत्र मे
स्वजनं – मेरे ही लोगों को
हत्वा – मार डालके
श्रेय : – लाभ
न च अनुपश्यामि – नहीं दिख रहा है

सरल अनुवाद

हे केशव ( केशव दिव्यनाम का अर्थ है जिसके लटकते हुए अतिसुन्दर बाल हो , जिसने केशी नाम के असुर का वध किया था , जो हमारे सारे संकटों का नाश करे , जो ब्रह्मा और रूद्र के विधाता हो ) ! मैं कई अशुभ पूर्वसूचनाएँ देख रहा हूँ जो बुरे घटनाओं का इशारा करते हैं ; मेरे ही लोगों को इस युद्धक्षेत्र मे मार डालने से मुझे कोई लाभ नहीं दिख रहा है |

अडियेन् जानकी रामानुज दासी

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