१.४ – अत्र शूरा

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १ << अध्याय १ श्लोक ३ श्लोकअत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुन समा युधि ।युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ॥ पद पदार्थमहेश्वासा: – महान धनुर्धरयुधि – लड़ाई/युद्ध से संबंधित मामलों मेंभीमार्जुन समा: – भीम और अर्जुन के समानशूरा : – राजा जो महान योद्धा हैंअत्र – इस सेना … Read more

१.३ – पश्यैताम्

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः अध्याय १ <<अध्याय १ श्लोक १.२ श्लोक पश्यैतां पाण्डु पुत्राणां आचार्य महतीं चमूम् ।व्यूढां द्रुपद पुत्रेण तव शिष्येण धीमता॥ पद पदार्थ आचार्य – हे आचार्य !तव शिष्येन – आपका शिष्यधीमता – बुद्धिमानद्रुपद पुत्रेण – धृष्टद्युम्न जो पांचाल राज्य के राजा द्रुपद के पुत्र हैंव्यूढाम् – … Read more

१.२ – दृष्ट्वातु

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः अध्याय १ <<अध्याय १ श्लोक १.१ श्लोक संजय उवाच दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।आचार्यम् उपसंगम्य राजा वचनम् अब्रवीत् ॥ पद पदार्थ राजा दुर्योधन: – राजा दुर्योधनव्यूढं – व्यवस्थितपाण्डवानीकम् – पाण्डवों की सेनादृष्ट्वातु – देख करतदा – उस समयआचार्यं – द्रोणाचार्य के उपसंगम्य – पास पहुँचेवचनम् … Read more

१.१ – धर्मक्षेत्रे

श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमत् वरवरमुनये नमः अध्याय १ श्लोक धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सव: |मामका: पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय || पद पदार्थ संजय – हे संजय!धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे – कुरुक्षेत्र की पुण्य भूमि मेंयुयुत्सव: – युद्ध करने की इच्छा सेसमवेता – एक समूह में संगठितमामका: – मेरे पुत्रोंपांडवा: च एव – और पांडु … Read more

अध्याय १ – अर्जुन विषाद योग

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नमः <<प्रस्तावना गीता भाष्य के लिए आळवन्दार पर श्री रामानुज का तनियन् (आह्वान) यत् पदाम्भोरुहद्यान विद्वस्तासेश कल्मशःवस्तुतामुपया दोहं यामुनेयम् नमामितम् मैं यामुनाचार्य की पूजा करता हूँ जिनकी दया से मेरे दोष दूर हो गए हैं और मैं एक पहचानने योग्य वस्तु बन गया हूँ | अर्थात्, पहले … Read more