१.४ – अत्र शूरा
श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १ << अध्याय १ श्लोक ३ श्लोकअत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुन समा युधि ।युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ॥ पद पदार्थमहेश्वासा: – महान धनुर्धरयुधि – लड़ाई/युद्ध से संबंधित मामलों मेंभीमार्जुन समा: – भीम और अर्जुन के समानशूरा : – राजा जो महान योद्धा हैंअत्र – इस सेना … Read more