४.२४ – ब्रह्मार्पणम् ब्रह्म हविर्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक २३ श्लोक ब्रह्मार्पणं ब्रह्म हविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् ।ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना ॥ पद पदार्थ ब्रह्मार्पणम् – यज्ञ में अर्पित किये जाने वाले सामग्रियां जो ब्रह्म (सर्वोच्च भगवान) के रूप हैं ब्रह्म हवि:- वह आहुति जो ब्रह्म का स्वरूप हैब्रह्मणा – यज्ञ का … Read more