१४.९ – सत्त्वं सुखे सञ्जयति
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १४ << अध्याय १४ श्लोक ८ श्लोक सत्त्वं सुखे सञ्जयति रजः कर्मणि भारत।ज्ञानमावृत्य तु तमः प्रमादे सञ्जयत्युत।। पद पदार्थ भारत – हे भरतवंशी!सत्त्वं – सत्व गुणसुखे सञ्जयति – मुख्यतः आनन्द में आसक्ति उत्पन्न करता हैरजः – रजस (राग ) की गुणवत्ताकर्मणि (सञ्जयति) – मुख्यतः कर्मों … Read more