२.४२ – यां इमां पुश्पितां वाचं
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ४१ श्लोक यामिमां पुश्पितां वाचं प्रवदन्त्यविपश्चितः ।वेद वाद रताः पार्थ नान्यदस्तीति वादिनः ॥ पद पदार्थ पार्थ – हे पार्थ!वेद वाद रता: – जो लोग वेदों में कहा गया स्वर्ग आदि परिणामों के बारे में चर्चा करने में लगे हुए हैं“अन्यत् न अस्ति” इति वादिना: … Read more