४.९ – जन्म कर्म च मे दिव्यम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक ८ श्लोक जन्म कर्म च मे दिव्यमेवं यो वेत्ति तत्त्वत: ।त्यक्त्वा देहं पुनर्जन्म नैति मामेति सोऽर्जुन ।। पद पदार्थ अर्जुन – हे अर्जुन !मे – मेरेदिव्यं – आध्यात्मिक ( दिव्य )जन्म – अवतारकर्म – क्रियाओंय: – जो भीएवं – जैसे … Read more

४.८ – परित्राणाय साधूनां

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक ७ श्लोक परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ।। पद पदार्थ साधूनां परित्राणाय – साधू संतों की रक्षा करने के लिएदुष्कृतां विनाशाय – दुष्टों की उत्पीड़न और नाश करने के लिएधर्म संस्थापनार्थाय च – और धर्म की … Read more

४.७ – यदा यदा हि धर्मस्य

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक ६ श्लोक यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।। पद पदार्थ भारत – हे भरतवंशी !यदा यदा हि – जब भीधर्मस्य – धर्म कीग्लानि: भवति – क्षीणता होता हैअधर्मस्य – अधर्म काअभ्युत्थानं (भवति ) – उत्थान होता … Read more

४.६ – अजोऽपि सन् अव्ययात्मा

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक ५ श्लोक अजोऽपि सन्नव्ययात्मा भूतानामीश्वरोऽपि सन् ।प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय सम्भवाम्यात्ममायया ।। पद पदार्थ अज: अपि सन् – जन्महीन ( कर्मानुसार जन्म न होने के कारण )अव्ययात्मा ( अपि सन् ) – अविनाशी ( कर्म से प्रभावित मृत्यु / विनाश न होने … Read more

४.५ – बहूनि मे व्यतीतानि

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक ४ श्लोक श्री भगवानुवाचबहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन ।तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप ।। पद पदार्थ श्री भगवानुवाच – श्री कृष्ण ने जवाब दियाहे अर्जुन – हे अर्जुन !तव च – तुम्हारी तरहमे – मेरे लिए भीबहूनि … Read more

४.४ – अपरं भवतो जन्म

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक ३ श्लोक अर्जुन उवाचअपरं भवतो जन्म परं जन्म विवस्वत:।कथमेतद्विजानीयां त्वमादौ प्रोक्तवानिति ।। पद पदार्थ अर्जुन उवाच – अर्जुन ने कहाभवत: जन्म – तुम्हारा जन्मअपरं – बाद में ( काल के अनुसार )विवस्वत: जन्म – सूर्य के जन्मपरं – पहले है … Read more

४.३ – स एवायं मया तेऽद्य

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक २ श्लोक स एवायं मया तेऽद्य योग: प्रोक्त: पुरातन:।भक्तोऽसि मे सखा चेति रहस्यं ह्येतदुत्तमम् ।। पद पदार्थ पुरातन: – प्राचीनस एव अयं योग: – यह कर्म योग ( जिसे गुरुजन के उत्तरधिकारी के माध्यम से सुरक्षित रखा गया था )मे … Read more

४.२ – एवं परम्परा प्राप्तम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक १ श्लोक एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदु:।स कालेनेह महता योगो नष्ट: परन्तप ।। पद पदार्थ परन्तप – हे शत्रुओं का उत्पीड़क !एवं – इस प्रकारपरम्परा प्राप्तम् – पुत्र / पौत्र के रूप में उत्तरधिकारी के माध्यम से सिखाया गयाइमं – यह … Read more

४.१ – इमं विवस्वते योगं

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ३ श्लोक ४३ श्लोक श्री भगवान उवाचइमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्।विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ।। पद पदार्थ श्री भगवान उवाच – भगवान श्री कृष्णा ने कहाअहम् – मैंअव्ययं – अविनाशीइमं योगं – इस कर्म योग , जिसे मैंने पिछले अध्याय में सिखाया थाविवस्वते – … Read more

अध्याय ४ – ज्ञान योग

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नमः <<अध्याय ३ आळ्वारतिरुनगरी, श्रीपेरुम्बुतूर, श्रीरंगम और तिरुनारायणपुरम में भगवत रामानुज आधार – http://githa.koyil.org/index.php/4/ संगृहीत – http://githa.koyil.org प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.orgप्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.orgप्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.orgश्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org