६.१९ – यथा दीपो निवातस्थो
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ६ << अध्याय ६ श्लोक १८ श्लोक यथा दीपो निवातस्थो नेङ्गते सोपमा स्मृता |योगिनो यतचित्तस्य युञ्जतो योगमात्मन: || पद पदार्थ यथा चित्तस्य – ऐसा मन जो संयमित होयोगं युञ्जत: – जो आत्मा के संबंधित विषयों में योग अभ्यास में संलग्न हैयोगिन: – योगी केआत्मन: – … Read more