७.१३.५ – दैवी ह्येषा गुणमयी
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ७ << अध्याय ७ श्लोक १३ श्लोक दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया | पद पदार्थ मम – मेराएषा – यहगुणमयि – तीन गुणों से भरपूरमाया – भौतिक प्रकृति/क्षेत्रदैवी – क्योंकि मेरे द्वारा बनाया गया है जो देव (भगवान) हैदुरत्यया – पार करना कठिन है … Read more