४.४२ – तस्मात् अज्ञानसम्भूतम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ४ << अध्याय ४ श्लोक ४१ श्लोक तस्मादज्ञानसम्भूतं हृत्स्थं ज्ञानासिनात्मनः ।छित्त्वैनं संशयं योगमातिष्ठोत्तिष्ठ भारत ॥ पद पदार्थ भारत – हे भरत वंश के वंशज!तस्मात् – क्यों कि पहले बताए गए कर्म योग से कोई मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता है [ज्ञान के बिना केवल कर्म … Read more