३.२१ – यद् यद् आचरति श्रेष्ठस्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ३ << अध्याय ३ श्लोक २० श्लोक यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते ॥ पद पदार्थ श्रेष्ठ: – उत्तम व्यक्ति (ज्ञान और अनुष्ठान (ज्ञान के अनुप्रयोग) में)यद् यद् – जो भी कर्म आचरति – वह पालन करता हैतत् तत् एव – वही कर्मइतर: जन: – सामान्य … Read more