३.२९ – प्रकृतेर्गुण सम्मूढ़ाः
अध्याय ३ << अध्याय ३ श्लोक २८ श्लोक प्रकृतेर्गुण सम्मूढ़ाः सज्जन्ते गुण कर्मसु ।तानकृत्स्नविदो मन्दान्कृत्स्नविन्न विचालयेत् ॥ पद पदार्थ प्रकृते: – मूल प्रकृति ( जो शरीर में परिवर्तन हो चुका हो )गुण सम्मूढ़ाः – जो लोग तीन गुणों ( सत्व , रजस और तमस ) से प्रभावित हैं और आत्मा के बारे में अस्पष्ट और … Read more