१५.८ – शरीरं यदवाप्नोति
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १५ .<< अध्याय १५ श्लोक ७ श्लोक शरीरं यदवाप्नोति यच्चाप्युत्क्रामतीश्वर : |गृहीत्वैतानि संयाति वायुर्गन्धानिवाशयात् || पद पदार्थ ईश्वर: – बंधी हुई आत्मा जो अपनी इंद्रियों को नियंत्रित करती हैयत् शरीरं अवप्नोति – (पिछले शरीर को त्यागने के बाद) जिस नये शरीर में पहुँचती है (उस … Read more