३.१५ – कर्म ब्रह्मोद्भवम् विद्धि
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ३ << अध्याय ३ श्लोक १४ श्लोक कर्म ब्रह्मोद्भवम् विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम् ।तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम् ॥ पद पदार्थ कर्म – कर्म (धार्मिक कार्य)ब्रह्मोद्भवम् – शरीर से उत्पन्नविद्धि – जानोब्रह्म – शरीरअक्षरसमुद्भवम् – जीवात्मा से उत्पन्नतस्मात् – इस प्रकारसर्वगतं – वह जो सभी के लिए उपस्थित हैब्रह्म … Read more