३.४ – न कर्मणाम् अनारम्भान्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ३ << अध्याय ३ श्लोक ३ श्लोक न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं  पुरुषोSश्नुते ।न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति ॥ पद पदार्थ पुरुष :- कोई भी मनुष्य (जो इस संसार में  है)कर्मणां अनारम्भान् – कर्म योग शुरू करने के लगाव न होने के कारण नैष्कर्म्यम् – ज्ञान योगन अश्नुते – प्राप्त … Read more

३.३ – लोकेSस्मिन् द्विविधा निष्ठा

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ३ << अध्याय ३ श्लोक २ श्लोक श्री भगवान् उवाचलोकेSस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ ।ज्ञानयोगेन सांख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम् ॥ पद पदार्थ श्री भगवान् उवाच – श्री भगवान बोले अनघा! – हे निर्दोष !अस्मिन लोकेन – इस दुनिया में जो विभिन्न प्रकृति के लोगों से भरी हुई … Read more

३.२ – व्यामिश्रेणेव वाक्येन

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ३ << अध्याय ३ श्लोक १ श्लोक व्यामिश्रेणेव वाक्येन बुद्धिं  मोहयसीव मे ।तदेकं वद निश्चित्य येन श्रेयोSहमाप्नुयाम् ॥  पद पदार्थ व्यामिश्रेण – विरुद्ध वाक्येन इव – वचन मे –  मेरा अपनाबुद्धिं  – बुद्धिमोहयसी  इव – ऐसा प्रतीत होता है कि तुम मुझे भ्रमित कर रहे हो तत्  – इसलिएयेन … Read more

३.१ – ज्यायसी चेत् कर्मणस् ते

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ३ << अध्याय २ श्लोक ७२ श्लोक अर्जुन उवाचज्यायसी चेत् कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन ।तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव ॥ पद पदार्थ अर्जुन उवाच – अर्जुन ने  कहा,जनार्दन – हे जनार्दन!केशव – हे केशव!कर्मण:  कर्म से बुद्धि:- ज्ञान में स्थित होनाज्यायसी – सर्वोत्तम है ते – तुम्हारे … Read more

अध्याय ३ – कर्म योग या कर्म पथ

श्री: श्रीमते शठकोपाय नम: श्रीमते रामानुजाय नम: श्रीमद्वरवरमुनये नमः <<अध्याय २ आळ्वारतिरुनगरी, श्रीपेरुम्बुतूर, श्रीरंगम और तिरुनारायणपुरम में भगवत रामानुज आधार – http://githa.koyil.org/index.php/3/ संगृहीत – http://githa.koyil.org प्रमेय (लक्ष्य) – http://koyil.orgप्रमाण (शास्त्र) – http://granthams.koyil.orgप्रमाता (आचार्य) – http://acharyas.koyil.orgश्रीवैष्णव शिक्षा/बालकों का पोर्टल – http://pillai.koyil.org

२.७२ – एषा ब्राह्मी स्तिथि: पार्थ

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ७१ श्लोक एषा ब्राह्मी स्तिथि: पार्थ नैनां प्राप्य विमुह्यति ।स्थित्वास्यामन्तकालेSपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्छति  ॥ पद पदार्थ हे पार्थ – हे अर्जुन!एषा स्थिति:- स्वयं का सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए असंबद्ध क्रिया में स्थित होनाब्राह्मी – (ज्ञान योग का पोषण करके) यह आत्मा को, … Read more

२.७१ – विहाय कामान्य: सर्वान्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ७० श्लोक विहाय कामान्य: सर्वान्पुमांश्चरति नि:स्पृह: ।निर्ममो निरहंकार:स शान्तिमधिगच्छति ॥ पद पदार्थ य: पुमान् – वह आदमीसर्वान् कामान् – सभी सांसारिक सुखविहाय – त्याग करकेनि:स्पृह:- इच्छा रहित होकर (उनमें)निर्मम : – ममकार (अपनापन ) से रहित होकरनिरहंकारः – अहंकार से … Read more

२.७० – आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ६९ श्लोक आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं समुद्रमाप: प्रविशन्ति यद्वत् । तद्वत्कामा यं प्रविशन्ति सर्वे स शान्तिमाप्नोति न कामकामी ॥ पद पदार्थ यद्वत् – जैसेआपूर्यमाणं  – स्वाभाविक रूप से पूर्णअचलप्रतिष्ठम् – गतिहीनसमुद्रम् – महासागरआप:-नदी का जलप्रविशन्ति – जैसे  प्रवेश करते हैंतदवत् – उसी  प्रकारसर्वे काम: – … Read more

२.६९ – या निशा सर्वभूतानां

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ६८ श्लोक या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी । यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुने:॥ पद पदार्थ या  – स्वयं के बारे में वह ज्ञानसर्वभूतानां – सभी प्राणियों के लिएनिशा – रात के समान अंधकारमय तस्यां – ऐसे ज्ञान के सन्दर्भ … Read more

२.६८ – तस्माद्यस्य महाबाहो

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ६७ श्लोक तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः ।इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ॥ पद पदार्थ महाबाहो – हे महाबाहो!तस्मात् – इस प्रकारयस्य इन्द्रियाणी- जिनकी ज्ञानेन्द्रियाँइन्द्रियार्थेभ्य:-सांसारिक सुखों सेसर्वशः: निगृहीतानि – सभी प्रकार से खींच लिया गयातस्य – उसके लिएप्रज्ञा – ज्ञान (स्वयं के बारे में)प्रतिष्ठिता … Read more