१२.२ – मय्यावेश्य मनो ये मां
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १२ << अध्याय १२ श्लोक १ श्लोक श्री भगवानुवाच – मय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते।श्रद्धया परयोपेतास्ते मे युक्ततमा मताः।। पद पदार्थ श्री भगवानुवाच – भगवान ने कहामन: – उनके हृदयमयि – मुझमेंआवेश्य – रखकरपरया श्रद्धया उपासते – महान विश्वास के साथनित्य युक्ता – हमेशा … Read more