८.१९ – भूतग्रामः स एवायम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक १८ श्लोक भूतग्रामः स एवायं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते |रात्र्यागमेऽवश :पार्थ प्रभवत्यहरागमे || पद पदार्थ पार्थ – हे कुन्तीपुत्र!अवश: स एव अयं भूतग्राम: – उन जीवात्माओं का संग्रह जो कर्म से बंधे हैं(अहरागमे) भूत्वा भूत्वा – (प्रत्येक दिन की शुरुआत में … Read more

८.१८ – अव्यक्ताद् व्यक्तय: सर्वा:

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक १७ श्लोक अव्यक्ताद् व्यक्तय: सर्वा: प्रभवन्त्यहरागमे |रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्त सञ्ज्ञके || पद पदार्थ अहरागमे – जब (ब्रह्मा का) दिन शुरू होता हैसर्वा: व्यक्तय: – (दुनिया की) सभी वस्तुएँअव्यक्त – (ब्रह्मा के) अव्यक्त (शरीर) सेप्रभावन्ति – निर्मित हो जाते हैंरात्र्यागमे – … Read more

८.१७ – सहस्रयुगपर्यन्तम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक १६ श्लोक सहस्रयुगपर्यन्तम् अहर्यद् ब्रह्मणो विदु: |रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जना: || पद पदार्थ अहो रात्र विद: जना: – वे बुद्धिमान व्यक्ति जो रात और दिन (मनुष्यों से लेकर ब्रह्मा तक) को जानते हैंते – वेब्रह्मणा : अह: – ब्रह्मा का … Read more

८.१६ – आब्रह्मभुवनाल्लोका:

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक १५ श्लोक आब्रह्मभुवनाल्लोका :पुनरावर्तिनोऽर्जुन |मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते || पद पदार्थ अर्जुन – हे अर्जुन!आब्रह्म भुवनान् लोका: – ब्रह्म लोक तक सभी लोक (जो ब्रह्माण्ड के भीतर हैं [14 परतों का एक अंडाकार आकार का ब्रह्मांड, जिसके शीर्ष … Read more

८.१५ – माम् उपेत्य पुनर्जन्म

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक १४ श्लोक मामुपेत्य पुनर्जन्म दु:खालयमशाश्वतम् |नाप्नुवन्ति महात्मान: संसिद्धिं परमां गता: || पद पदार्थ परमां संसिद्धिं गता: – जिन्होंने मुझे, परम लक्ष्य के रूप में प्राप्त कर लियामहात्मान: – ज्ञानी, जो महान आत्माएं हैंमां – मुझेउपेत्य – प्राप्त करने के बाददु:खालयम् … Read more

८.१४ – अनन्यचेताः सततं

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक १२ – १३ श्लोक अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः ।तस्याहं सुलभः पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिनः || पद पदार्थ पार्थ – हे कुंतीपुत्र !नित्यशः – उपासना प्रारम्भ होने के समय सेसततं – हर समयअनन्य चेताः – बिना किसी और वस्तु पर … Read more

८.१२ – १३ – सर्वद्वाराणि संयम्य

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक ११ श्लोक सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च ।मूर्ध्न्याधायात्मनः प्राणम् आस्थितो योगधारणाम् ॥ ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।यः प्रयाति त्यजन् देहं स याति परमां गतिम् ॥ पद पदार्थ सर्व द्वाराणि – उन सभी इंद्रियों जो ( ज्ञान उत्सर्जित करने के ) प्रवेश … Read more

८.११ – यदक्षरं वेदविदो वदन्ति

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक १० श्लोक यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागाः।यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये ॥ पद पदार्थ यत् – उसअक्षरं – अक्षरं (अविनाशी)वेदविद: – वेद के ज्ञातावदन्ति – कहते हैंयत् – उसइच्छन्त: – इच्छा करतेवीतरागाः यतय: – किसी और वस्तु … Read more

८.१० – प्रयाणकाले मनसाऽचलेन

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक ९ श्लोक प्रयाणकाले मनसाऽचलेन भक्त्या युक्तो योगबलेन चैव ।भ्रुवोर्मध्ये प्राणमावेश्य सम्यक् स तं परं पुरुषमुपैति दिव्यम् ॥ पद पदार्थ भक्त्या युक्त: – भक्ति के साथयोगबलेन – ऐसे भक्ति योग की शक्ति सेअचलेन मनसा – उस हृदय से जो तुच्छ सुखों … Read more

८.९ – कविं पुराणम् अनुशासितारम्

श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ८ << अध्याय ८ श्लोक ८ श्लोक कविं पुराणम् अनुशासितारम् अणोरणीयांसम् अनुस्मरेद्यः ।सर्वस्य धातारम् अचिन्त्यरूपम् आदित्यवर्णं तमसः परस्तात् ॥ पद पदार्थ कविं – सर्वज्ञपुराणं – प्राचीनअनुशासितारं – समस्त लोकों का नियंताअणो: अणीयांसं – सूक्ष्म आत्मा से भी लघुसर्वस्य धातारं – सबका रचयिताअचिन्त्य रूपं – अकल्पनीय … Read more