गीतार्थ संग्रह – 5
श्री: श्रीमते शठकोपाये नम: श्रीमते रामानुजाये नम: श्रीमदवरवरमुनये नम: पूर्ण श्रंखला << पूर्व अनुच्छेद तृतीय षट्खंड के प्रत्येक अध्याय का सारांश श्लोक 17 देहस्वरुपमात्माप्तिहेतुरात्मविशोधनं | बंधहेतुर्वीवेकश्च त्रयोदश उधिर्यते || Listen शब्दार्थ (पुत्तुर कृष्णमाचार्य स्वामी के तमिल अनुवाद पर आधारित) देह स्वरुपं – देह का स्वरुप आत्माप्ति हेतु: – जीवात्मा के स्वरुप को प्राप्त करने के … Read more