२.४४ – भोगैश्वर्य प्रसक्तानाम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ४३ श्लोक भोगैश्वर्य प्रसक्तानां तयापहृत चेतसाम् ।व्यवसायात्मिका बुद्धि: समाधौ न विधीयते ॥ पद पदार्थ भोगैश्वर्य प्रसक्तानां – उन अज्ञानियों के लिए जो स्वर्ग आदि का आनंद लेने के काम में लगे हुए हैंतया – उन शब्दों/चर्चाओं के कारणअपहृत चेतासाम् – नष्ट बुद्धि … Read more