५.७ – योगयुक्तो विशुध्दात्मा
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ५ << अध्याय ५ श्लोक ६ श्लोक योगयुक्तो विशुध्दात्मा विजितात्मा जितेन्द्रियः।सर्वभूतात्म भूतात्मा कुर्वन्नपि न लिप्यते ॥ पद पदार्थ योग युक्त: – कर्म योग का अभ्यासी विशुद्धात्मा – (उसके परिणाम स्वरूप) शुद्ध हृदय से विजितात्मा – (उसके परिणाम स्वरूप) नियंत्रित मन से जितेन्द्रिय: – (उसके परिणाम स्वरूप) सभी इंद्रियों … Read more