१.१५ – पाञ्चजन्यं हृषीकेशो
श्रीः श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १ < < अध्याय १ श्लोक १४ श्लोकपाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जय : ।पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः ॥ पद पदार्थऋषिकेश: – कृष्ण, इंद्रियों के नियंत्रकपाञ्चजन्यं महाशङ्खं – पाञ्चजन्य नामक महान शंखदध्मौ – बजाये धनञ्जय:- अर्जुन (धन को जीतने वाला)देवदत्तं – देवदत्तं नामक महान शंख बजायाभीमकर्मा – भयानक कार्य करने … Read more