२.५६ – दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय २ << अध्याय २ श्लोक ५५ श्लोक दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृह : ।वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते ॥ पद पदार्थ दुःखेषु – जब दुखद मामलों से पीड़ित होंअनुद्विग्नमना: – उत्तेजित नहीं होता हैसुखेषु – जब हर्षित विषयों का सामना हो,विगतस्पृह: – इच्छा रहित वीत राग भय क्रोध: – अभिलाषा, भय और … Read more