५.१७ – तद्बुद्धय: तदात्मान:
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय ५ << अध्याय ५ श्लोक १६ श्लोक तद्बुद्धयस्तदात्मानस्तन्निष्ठास्तत्परायणा: |गच्छन्त्यपुनरावृत्तिं ज्ञाननिर्धूतकल्मषा: || पद पदार्थ तद्बुद्धय: – पहले बताये गए आत्मानुभूति में दृढ़ रूप से केंद्रित होतदात्मान: – उस आत्मानुभूति में मन को पूरी तरह से संलग्न करते हुएतन्निष्ठा: – दृढ़ रूप से अनुचरण करते हुएतत्परायणा: – … Read more