१६.३ – तेजः क्षमा धृतिः शौचम्
श्री: श्रीमते शठकोपाय नमः श्रीमते रामानुजाय नमः श्रीमद्वरवरमुनये नमः अध्याय १६ << अध्याय १६ श्लोक २ श्लोक तेजः क्षमा धृतिः शौचमद्रोहो नातिमानिता।भवन्ति सम्पदं दैवीमभिजातस्य भारत।। पद पदार्थ तेजः – (बुरे लोगों द्वारा) अपराजित रहनाक्षमा – (नुकसान पहुँचाने वालों के प्रति भी) सहनशीलता रखनाधृतिः – (भयंकर परिस्थितियों में भी) दृढ़ रहनाशौचं – (शास्त्र में बताए गए) … Read more